अशोक और बौद्ध धर्म का प्रचार | Ashoka and the Spread of Buddhism in Hindi
सम्राट अशोक भारतीय इतिहास के पहले ऐसे शासक थे जिन्होंने धर्म को राजनीति से जोड़ा नहीं, बल्कि राजनीति को धर्म का साधन बना दिया। कलिंग युद्ध के बाद वे बौद्ध धर्म से गहराई से प्रभावित हुए और उन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार को अपने जीवन का प्रमुख उद्देश्य बना लिया।
☸️ अशोक का बौद्ध धर्म की ओर झुकाव
कलिंग युद्ध (261 ई.पू.) की विभीषिका देखकर अशोक ने हिंसा का मार्ग त्याग दिया। उन्होंने उपासक उपगुप्त से दीक्षा ली और बौद्ध धर्म अपनाया। इसके बाद वे “धम्म अशोक” के नाम से प्रसिद्ध हुए।
🌿 बौद्ध धर्म के प्रचार के उद्देश्य
- अहिंसा, दया और करुणा का प्रसार करना।
- जनता में नैतिक जीवन और सदाचार की भावना जगाना।
- सभी धर्मों के प्रति सहिष्णुता स्थापित करना।
- सामाजिक समानता और शांति का वातावरण बनाना।
📜 अशोक की बौद्ध नीतियाँ
- धम्म प्रचारक नियुक्त करना: धर्म के संदेश को फैलाने के लिए विशेष अधिकारियों की नियुक्ति की गई।
- धम्म यात्राएँ: अशोक स्वयं विभिन्न क्षेत्रों में यात्रा करके लोगों से संवाद करते थे।
- शिलालेखों और स्तंभलेखों के माध्यम से धर्म प्रचार: अशोक ने अपने उपदेशों को पत्थरों पर खुदवाकर जन-जन तक पहुँचाया।
- धम्म परिषदों का आयोजन: बौद्ध धर्म के संगठन और प्रचार हेतु परिषदें बुलाई गईं।
🏯 बौद्ध धर्म की तीसरी परिषद (Third Buddhist Council)
तीसरी बौद्ध परिषद पाटलिपुत्र में मोग्गलिपुत्त तिस्स की अध्यक्षता में हुई। इस परिषद में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को शुद्ध किया गया और मिलिंदपन्हो जैसे ग्रंथों की रचना की गई।
🌍 विदेशों में बौद्ध धर्म का प्रचार
अशोक ने बौद्ध धर्म को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलाने के लिए धम्मदूतों को विदेश भेजा।
- श्रीलंका — महेंद्र और संघमित्रा (अशोक के पुत्र और पुत्री) को भेजा गया।
- नेपाल, म्यांमार, थाईलैंड, अफगानिस्तान और मिस्र तक धर्म प्रचारक भेजे गए।
- इन मिशनों के कारण बौद्ध धर्म एशिया के कई देशों में फैल गया।
🪔 बौद्ध स्थापत्य और कला का विकास
अशोक ने अनेक स्तूप, विहार और धर्मशालाएँ बनवाईं।
- सांची स्तूप और सारनाथ स्तंभ उनके शासनकाल की सर्वश्रेष्ठ कृतियाँ हैं।
- सिंह स्तंभ आज भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है।
💡 बौद्ध धर्म प्रचार के परिणाम
- बौद्ध धर्म पूरे एशिया में फैल गया।
- भारत में नैतिक और सामाजिक सुधार हुए।
- अशोक का नाम विश्व शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में अमर हो गया।
🕊️ निष्कर्ष
अशोक का बौद्ध धर्म प्रचार केवल धार्मिक नहीं, बल्कि मानवता का वैश्विक अभियान था। उन्होंने बौद्ध धर्म को सीमाओं से परे पहुँचाकर उसे विश्वधर्म बना दिया। उनके प्रयासों से भारत को “विश्वगुरु” की प्रतिष्ठा मिली।
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