अशोक के शिलालेख और अभिलेख | Ashoka’s Inscriptions and Edicts in Hindi
सम्राट अशोक ने अपने विचारों, नीतियों और धर्म के संदेश को आम जनता तक पहुँचाने के लिए पत्थरों और स्तंभों पर खुदवाए गए शिलालेख (Edicts) और अभिलेख (Inscriptions) का उपयोग किया। यह भारत के प्राचीन इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण स्रोत माने जाते हैं।
📜 शिलालेखों का उद्देश्य
- धर्म (धम्म) का प्रचार और प्रसार करना।
- जनता में नैतिक जीवन, सत्य, अहिंसा, और करुणा के सिद्धांत फैलाना।
- राजा और प्रजा के बीच संवाद स्थापित करना।
- प्रशासनिक आदेशों और नीतियों को जनता तक पहुँचाना।
🪨 अशोक के शिलालेखों के प्रकार
अशोक के शिलालेख दो मुख्य प्रकार के हैं —
1️⃣ शिला लेख (Rock Edicts)
ये लेख प्राकृतिक चट्टानों पर खुदवाए गए थे। कुल 14 प्रमुख शिलालेख (Major Rock Edicts) और 7 गौण शिलालेख (Minor Rock Edicts) हैं।
- मुख्य स्थान: गिरनार (गुजरात), धौली (ओडिशा), जौगड़, खरवेल, मानसिहा, सोपारा, एर्रगुडी आदि।
- भाषा: प्राकृत, यूनानी, अरामी।
- लिपि: ब्राह्मी (भारत में), खरोष्ठी (उत्तर-पश्चिम भारत)।
2️⃣ स्तंभ लेख (Pillar Edicts)
ये लेख विशेष रूप से निर्मित पत्थर के स्तंभों पर खुदवाए गए थे।
- मुख्य स्थान: सारनाथ, लौरिया नंदनगढ़, लौरिया अरराज, प्रयाग, दिल्ली-तोपरा, मेरठ, रामपुरवा।
- इन पर मुख्यतः धर्म, दया, अहिंसा और प्रशासनिक सिद्धांतों का उल्लेख है।
📖 प्रमुख शिलालेखों की जानकारी
- धौली और जौगड़ शिलालेख: कलिंग युद्ध के बाद अशोक की नीति परिवर्तन का विवरण।
- गिरनार शिलालेख: गुजरात में मिला, यहाँ धर्म प्रचार और प्रशासनिक कार्यों का उल्लेख है।
- सोपारा शिलालेख: महाराष्ट्र में मिला, यह अशोक के पश्चिमी प्रदेशों से जुड़ा है।
- सारनाथ स्तंभ लेख: यहाँ अशोक ने धार्मिक सहिष्णुता और अहिंसा की बात की।
🔤 प्रयुक्त भाषाएँ और लिपियाँ
- प्राकृत भाषा: अधिकांश शिलालेख इसी में हैं।
- ब्राह्मी लिपि: भारत के मध्य और पूर्वी क्षेत्रों में प्रयुक्त।
- खरोष्ठी लिपि: उत्तर-पश्चिम भारत (अफगानिस्तान, पाकिस्तान)।
- यूनानी और अरामी भाषा: अशोक के पश्चिमी प्रदेशों में।
🕉️ धर्म से संबंधित विषय
अशोक के शिलालेखों में “धम्म” शब्द का बार-बार उल्लेख मिलता है, जिसका अर्थ नैतिक जीवन, सत्य, दया, सहिष्णुता और करुणा से है।
- सभी धर्मों के प्रति सम्मान।
- पशु हिंसा का विरोध।
- जनता की सेवा और न्याय की व्यवस्था।
🪔 अशोक के शिलालेखों का ऐतिहासिक महत्व
- ये लेख मौर्य प्रशासन और राजनीतिक विचारधारा को समझने का महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
- इनसे पता चलता है कि अशोक जनता से सीधे संवाद करने वाले शासक थे।
- अशोक के समय की भाषा, लिपि, धर्म, संस्कृति और समाज की झलक मिलती है।
🕊️ निष्कर्ष
अशोक के शिलालेख केवल प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि मानवता के नैतिक घोषणापत्र हैं। इन अभिलेखों ने भारत को एकता, शांति और धर्मनिष्ठा का संदेश दिया, जो आज भी प्रेरणा स्रोत है।
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